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A bitter truth written outside the crematorium

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A bitter truth written outside the crematorium

A bitter truth written outside the crematorium – समशान के बाहर लिखा हुआ एक कडबा सच।

  1. तेरे अपने ही तुझको जलाएंगे कुछ दिन रोयेंगे फिर भूल जायेंगे मंजिल तो तेरी यही थी पूरी उपर लगा दी आते आते क्या मिला तुझे इस दुनिया से अपनो ने ही जला दिया जाते जाते
  2. पूरे जीवन पैसो के पीछे भागता रहा तू ऐ इंसान अब बता तो दे मरने के बाद साथ क्या ले जा रहा है। पैर तले एक हड्डी आई उस के भी यही बयान थे चलने वाले सम्भल कर चलना हम भी कभी इंसान थे।
  3. तू क्या ले कर आया था और क्या ले कर जा रहा है बंद मुट्ठी लाया था और खाली हाथ जा रहा है।
  4. तू तो ये कहता था कि मै अकेला सब कुछ कर लूंगा और अब किसी और के कंधो पर आ रहा है।
  5. माटी कहे कुम्हार से तू कि रोंधे मोहे इक दिन एसा आयेगा मे रोधूंगी तोहे पूरा जीवन अपने कपड़ो से मिट्टी को हटाने वाले इंसान आज तू खुद मिट्टी मे मिलने जा रहा है।
  6. परमात्मा ने तेरे और मेरे जैसे ना जाने कितनो को मिटटी से बना कर मिटटी मे मिला दिया ए इन्सान फिर तू किस बात का तू घमंड करता था।
  7. पूरी जिन्दगी घमंड से महंगी गाडी मे घूमने वाले इन्सान आज बास की अर्थी पर लेटा आ रहा है। समसान की राख देख कर मन मे एक खयाल आया सिर्फ राख होने के लिए इन्सान दूसरो से कितना जलता आया।
  8. पूरे जीवन ओरो से आगे निकलने के लालच मे बस पैसा ही कमाता रह गया! देख फिर भी आज जो तेरे ऊपर चादर है वो भी किसी और के पैसो की है।
  9. तुझे पैदा करने के लिए तेरी माँ ने अपनी सुन्दरता को ही त्याग कर दिया। और सुन्दर बीवी पाने के लिए तूने अपनी माँ को ही त्याग कर दिया। वो मकान, घर नही समसान बन जाता है जहा एक माँ का रोना आम बन जाता है
  10. एक बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए बाप किसी का नौकर बन गया बिना अपनी इज्जत की परवाह करे | वही एक बेटी प्यार के नाम पर भाग जाती है किसी अनजान के साथ बिना अपने बाप की इज्जत की परवाह करे।

ThankYou!

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